"बिहार बना भारत का पहला राज्य जहां ई-वोटिंग से होंगे शहरी निकाय चुनाव – जानिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन!"

 बिहार ने देश में पहली बार ई-वोटिंग सिस्टम को शहरी निकाय (Urban Local Body) चुनावों में लागू करने का ऐतिहासिक फैसला लिया है। इस डिजिटल बदलाव का मुख्य उद्देश्य है – माइग्रेंट वर्कर्स, दिव्यांग जन, वरिष्ठ नागरिक, गर्भवती महिलाएं और बीमार मतदाताओं को मतदान प्रक्रिया से जोड़ना।


बिहार के लोग बड़ी संख्या में काम के सिलसिले में गुजरात, महाराष्ट्र, पंजाब जैसे राज्यों में जाते हैं, जिससे वे लोकल निकाय चुनावों में वोट नहीं डाल पाते। अब एक नया मोबाइल ऐप – e-Voting SEC-BHR – लॉन्च किया गया है, जो एंड्रॉइड डिवाइस पर उपलब्ध है। इस ऐप के ज़रिए लोग देश में कहीं भी रहकर शहरी चुनावों में अपने वोट डाल सकेंगे, बिना फिजिकल पोलिंग बूथ पर गए।

ऐप से वोटिंग कैसे करें?

1. एंड्रॉइड मोबाइल में e-Voting SEC-BHR ऐप डाउनलोड करें

2. ऐप में रजिस्ट्रेशन करें (आधार, फोटो और लाइव फेस स्कैन के ज़रिए)

3. तय समय पर ऐप खोलकर वोट डालें

महत्वपूर्ण: यह सुविधा सिर्फ Urban Local Body Elections (शहरी निकाय चुनावों) के लिए है। MLA या MP चुनावों के लिए नहीं।

ई-वोटिंग को कितना सुरक्षित बनाया गया है?

बहुत से लोग इस सिस्टम पर सवाल उठा रहे हैं – जैसे कि फर्जी वोटिंग, ऐप लॉगिन में हेरफेर आदि। लेकिन सरकार ने इसमें आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया है:

✅ ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी – डेटा में छेड़छाड़ से सुरक्षा

✅ लाइव फेस स्कैन और फेस मैचिंग

✅ लाइवनेस डिटेक्शन – केवल जीवित व्यक्ति ही वोट डाल सके

✅ VVPAT जैसी ऑडिट ट्रेल सुविधा

किन संस्थानों ने ऐप बनाया है?

1. सीडीएसी (CDAC) – तकनीकी विकास

2. बिहार स्टेट इलेक्शन कमीशन – फंडिंग और निगरानी

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कहां है ई-वोटिंग?

फिलहाल पूरी दुनिया में ई-वोटिंग बहुत सीमित है। स्टोनिया (Estonia) नामक यूरोपीय देश में यह सफलतापूर्वक चल रहा है। भारत में पहली बार बिहार ने इसे अपनाया है, जो कि एक डिजिटल लोकतंत्र की दिशा में क्रांतिकारी कदम है।

विपक्ष के सवाल और चिंताएं:

कुछ लोगों का कहना है कि ऐप के ज़रिए फेक वोटिंग संभव है। कोई दूसरा आपके फोन से वोट डाल सकता है। इसके जवाब में सरकार का कहना है कि बायोमेट्रिक और फेस वेरीफिकेशन जैसी तकनीकों से इस सिस्टम को फुलप्रूफ बनाया गया है।

     बिहार का ई-वोटिंग सिस्टम एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी पहल है, जिससे लोकतंत्र में भागीदारी को और सुलभ बनाया जाएगा। अगर यह मॉडल सफल होता है, तो जल्द ही अन्य राज्य भी इस डिजिटल बदलाव को अपना सकते हैं।



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