तेहरान पर इजराइली मिसाइल अटैक: ईरान के परमाणु ठिकानों और टॉप कमांडर्स पर हमला, खाड़ी क्षेत्र में फिर से युद्ध का खतरा

 13 जून की सुबह, ईरान की राजधानी तेहरान से आईं डरावनी तस्वीरें

13 जून की सुबह-सुबह मिडिल ईस्ट (खाड़ी क्षेत्र) एक बार फिर युद्ध के साए में आ गया, जब ईरान की राजधानी तेहरान से धुएं के गुबार, सायरन की आवाज़ें और मिसाइल हमलों की लाइव फुटेज़ सामने आईं। इन तस्वीरों में स्पष्ट रूप से देखा गया कि कैसे कुछ बिल्डिंग्स में आग लगी है, आसमान में मिसाइलें उड़ रही हैं और लोग दहशत में हैं।




हमला हुआ कैसे, कहां और क्यों – जानिए पूरी कहानी

इन घटनाओं का मुख्य केंद्र था तेहरान, जो ईरान के उत्तर में, पर्शियन गल्फ (फारस की खाड़ी) और कैस्पियन सागर के बीच स्थित है।

यह हमला इजराइल द्वारा उसकी वायुसेना के माध्यम से किया गया, जिसमें फाइटर जेट्स ने ईरान के कई महत्वपूर्ण ठिकानों पर मिसाइल दागीं।

ईरान और इजराइल की दुश्मनी की जड़ें: न्यूक्लियर हथियार की होड़

ईरान और इजराइल के बीच यह दुश्मनी पुरानी है। इसकी मुख्य वजह यह है कि ईरान लम्बे समय से न्यूक्लियर वेपन डिवेलपमेंट में जुटा हुआ है। इजराइल को डर है कि यदि ईरान परमाणु बम बना लेता है, तो उसका पहला निशाना इजराइल ही होगा।

इसी चिंता के कारण इजराइल ने इस बार सीधी कार्रवाई करते हुए ईरान पर डिसाइसिव स्ट्राइक कर डाली।

हमले में ईरान के शीर्ष सैन्य अधिकारी और वैज्ञानिक मारे गए

इस हमले में कई टॉप अधिकारियों और वैज्ञानिकों के मारे जाने की पुष्टि हुई है:

*हुसैन सलामी – इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के चीफ कमांडर

*मोहम्मद मेहंदी तहरांची – प्रमुख परमाणु वैज्ञानिक

*फरदून अब्बासी – वरिष्ठ परमाणु वैज्ञानिक

*मोहम्मद बाघेरी – ईरान के आर्मी चीफ

इजराइल ने दावा किया है कि इस हमले में ईरान की परमाणु क्षमताओं को काफी पीछे धकेल दिया गया है।

क्या अमेरिका को इस हमले की जानकारी थी? ट्रंप और नेतन्याहू के बीच मतभेद!

यह हमला ऐसे समय में हुआ जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु कार्यक्रम को लेकर डिप्लोमैटिक बातचीत चल रही थी। ट्रंप प्रशासन और नेतन्याहू के बीच इस मुद्दे को लेकर पहले भी मतभेद हो चुके हैं।

*अब सवाल यह उठ रहा है कि:

*क्या इजराइल ने अमेरिका को बाईपास कर दिया?

*क्या ट्रंप का मिडिल ईस्ट में प्रभाव कम हो रहा है?

*क्या ये हमला ट्रंप की जानकारी में हुआ या उनके विरोध में?

नातांज न्यूक्लियर फैसिलिटी पर हुआ सबसे बड़ा हमला

इजराइली इंटेलिजेंस एजेंसी मोसाद द्वारा जारी की गई रिपोर्ट्स और वीडियो फुटेज के अनुसार, नातांज स्थित ईरान की प्रमुख न्यूक्लियर फैसिलिटी पर सटीक हमला किया गया।

यहां पर यूरेनियम एन्हांसमेंट (U-235) का काम चल रहा था, जो किसी भी न्यूक्लियर बम के निर्माण के लिए मुख्य तत्व माना जाता है। यूरेनियम के अन्य आइसोटोप्स जैसे U-232, U-236 इतने प्रभावशाली नहीं होते, लेकिन U-235 का उपयोग परमाणु हथियारों में होता है।

इजराइल का संदेश स्पष्ट: अब सिर्फ चेतावनी नहीं, निर्णायक हमला

इस हमले के माध्यम से इजराइल ने यह साफ कर दिया है कि अब वह केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहेगा।

“यदि कोई देश हमारी सुरक्षा को चुनौती देगा, तो हम उसे जवाब देंगे – वो भी उसके घर में घुसकर।”
– यह संदेश इजराइल की रणनीति को दर्शाता है।

निष्कर्ष:

तेहरान पर हुआ यह हमला केवल एक देश के खिलाफ कार्रवाई नहीं है, बल्कि यह पूरी दुनिया के लिए एक चेतावनी है कि परमाणु हथियारों की होड़ और अंतरराष्ट्रीय तनाव किसी भी समय युद्ध में बदल सकता है। आने वाले दिनों में इस हमले के दायरे, असर और जवाबी कार्रवाई पर पूरी दुनिया की नजर बनी रहेगी।


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