उत्तर प्रदेश में भर्ती पारदर्शिता ने पूरी व्यवस्था को बदल दिया है! – अब नौकरी पाने का क्या मतलब है? जानिए पूरी कहानी

उत्तर प्रदेश में "भर्ती पारदर्शिता" अब सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि एक क्रांति बन चुकी है।

जहाँ पहले नौकरी पाने का रास्ता सिफारिश और घूस से होकर गुजरता था, आज वहां भर्ती पारदर्शिता ने सिस्टम की तस्वीर ही बदल दी है।


तब: जब पारदर्शिता का नामोनिशान नहीं था!

2017 से पहले उत्तर प्रदेश में नौकरियों के नाम पर केवल धोखा मिलता था।

1. भर्ती परीक्षाओं में पेपर लीक
2. सिफारिश से नौकरी
3. फर्जी दस्तावेजों से शिक्षक बने लोग
4. पुलिस विभाग में अपात्र लोगों की नियुक्ति

Media की एक रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया कि अखिलेश सरकार के दौरान इंटर कॉलेजों में ऐसे teachers भर्ती किए गए जिन्हें अपने subject तक नहीं आता था।
इस सबके पीछे था भर्ती में पारदर्शिता की पूरी तरह से गैरमौजूदगी।

अब: जब भर्ती पारदर्शिता बनी पहचान:

1. आज उत्तर प्रदेश में नौकरी मिलती है मेहनत और मेरिट से – और यह मुमकिन हुआ है भर्ती पारदर्शिता की वजह से।
2. हाल ही में 60,244 सिपाहियों की भर्ती बिना किसी विवाद के पूरी हुई।
3. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी में नियुक्ति पत्र वितरण हुआ।
4. पुलिस विभाग की यह अब तक की सबसे पारदर्शी भर्ती प्रक्रिया मानी गई।
5. भर्ती पारदर्शिता ने वह भरोसा वापस लौटाया है, जो कभी खो चुका था।

क्यों जरूरी है भर्ती पारदर्शिता?

ये केवल नौकरी देने की बात नहीं है, ये युवाओं के भविष्य की बात है। भर्ती पारदर्शिता से ही काबिल लोग सिस्टम में आते हैं और सिस्टम बेहतर बनता है। इससे न केवल बेरोजगारी घटती है, बल्कि जनता का प्रशासन पर भरोसा भी बढ़ता है।


भर्ती पारदर्शिता ने साबित कर दिया है कि अगर सरकार इरादा कर ले तो बदलाव मुमकिन है।
अब यूपी के नौजवान जानते हैं कि उन्हें नौकरी पाने के लिए सिर्फ एक चीज चाहिए – मेहनत, क्योंकि अब हर भर्ती में है पूरी पारदर्शिता।


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