ईरान-अमेरिका तनाव पर भड़का पश्चिम एशिया! क्या तीसरे विश्व युद्ध की आहट है? जानिए ताज़ा अपडेट

 ईरान अमेरिका तनाव – पश्चिम एशिया में फिर उठे युद्ध के बादल?

बीते कुछ घंटों में जो घटनाक्रम सामने आया है, उसने दुनिया को एक बार फिर दहशत में डाल दिया है। ईरान और अमेरिका के बीच बढ़ते तनाव ने पश्चिम एशिया को संकट की ओर धकेल दिया है। ईरानी सरकारी मीडिया द्वारा जारी किया गया बयान कि "हर अमेरिकी नागरिक और सैन्यकर्मी अब वैध निशाना है", ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है।

ईरान का दावा है कि अमेरिका और इज़राइल दोनों ने मिलकर उसके सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया है। इस बीच अमेरिकी मीडिया और अधिकारियों का कहना है कि यह कार्रवाई किसी "तत्काल खतरे" के कारण की गई थी। लेकिन क्या यह वाकई आत्मरक्षा थी या कुछ और?


ईरान की धमकी: "आपने शुरू किया, हम खत्म करेंगे"

ईरानी टेलीविजन चैनलों पर एक बड़ा ग्राफिक दिखाया गया जिसमें पश्चिम एशिया में स्थित अमेरिकी सैन्य ठिकानों को “Iran’s Fire Range” के तहत दिखाया गया। इस तरह की भड़काऊ मीडिया कवरेज यह दर्शाती है कि ईरान अब जवाबी कार्रवाई की ओर बढ़ रहा है।

एक टीवी एंकर ने खुले शब्दों में कहा – “Mr. Trump, you started it, we will end it.” यह बयान सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि युद्ध का बिगुल हो सकता है।

अमेरिका की स्थिति: "इरादा सिर्फ रोकथाम का था"

पूर्व रक्षा सलाहकार बिशप गैरीसन ने कहा कि जनता को यह जानने का अधिकार है कि क्या अमेरिकी कांग्रेस को सूचित किया गया था या नहीं। क्या राष्ट्रपति ट्रंप ने किसी संविधानिक प्रक्रिया का पालन किया या यह निर्णय केवल राजनैतिक था?
अमेरिका में लोग अब इस निर्णय पर सवाल उठा रहे हैं – क्या यह एक उचित सैन्य कदम था या जल्दबाज़ी?

युद्ध का खतरा या कूटनीति की संभावना?

सवाल उठता है – क्या अब भी किसी कूटनीतिक हल की संभावना बची है? विशेषज्ञों का मानना है कि भले ही आशा क्षीण हो, पर शून्य नहीं है। यदि ईरान को इस टकराव में ज़्यादा नुकसान न हुआ हो, तो वह वार्ता की टेबल पर आ सकता है।पर यह भी उतना ही संभव है कि ईरान अपने क्षेत्रीय सहयोगियों जैसे हिज़्बुल्लाह या अन्य गुटों के ज़रिए अप्रत्यक्ष तरीके से अमेरिका और इज़राइल पर हमला करे।

अमेरिकी जनता और राजनीतिक प्रतिक्रिया

हाल ही में हुए एक सर्वेक्षण में यह सामने आया कि अधिकांश अमेरिकी नागरिक नहीं चाहते कि उनका देश इस युद्ध में शामिल हो। भले ही वे ईरान के परमाणु कार्यक्रम के खिलाफ हैं, पर किसी "फॉरेवर वॉर" का हिस्सा बनना अब उन्हें मंज़ूर नहीं।डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों ओर से इस कार्रवाई की संवैधानिकता पर सवाल उठाए जा रहे हैं। कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने भी इसे गलत ठहराया है।

वैश्विक समीकरणों पर असर

रूस, जिसने ईरान के कई परमाणु केंद्रों में मदद की थी, इस हमले के बाद अमेरिका के खिलाफ रुख अपना सकता है। चीन की प्रतिक्रिया भी महत्वपूर्ण होगी, जो ताइवान को लेकर पहले से अमेरिका से टकराव में है।यानी ईरान-अमेरिका तनाव सिर्फ दो देशों के बीच नहीं, बल्कि एक क्षेत्रीय से वैश्विक संकट में तब्दील हो सकता है।
    ईरान अमेरिका तनाव (Iran America Tanaav) एक ऐसे मोड़ पर पहुंच गया है जहां हर एक कदम वैश्विक स्तर पर असर डाल सकता है। एक छोटी सी चिंगारी पूरे पश्चिम एशिया को आग में झोंक सकती है। अब देखना यह होगा कि ये चिंगारी युद्ध बनती है या शांति के प्रयासों की चिंगारी में बदलती है।



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